श्रावण मास माहात्म्य – प्रथम अध्याय

श्रावण मास माहात्म्य – प्रथम अध्याय

सूत जी बोलते है कि –हे मुनियों, जिस प्रकार तुला राशि में स्थित सूर्य में कार्तिक मास (माह ) का महत्व , मकरराशिगत सूर्य में माघ मास का महत्व , और मेष राशि का सूर्य में वैशाख मास का महत्व है इस प्रकार श्रावण मास का भी अत्यधिक महत्व है । इस माह का प्रत्येक दिन एक विशेष फल को प्रदान करने वाला है |

इस श्रावण माह का महत्व स्वयं भगवान शिव ने अपने परम भक्त सनत कुमार के पूछने पर वर्णन किया था वही मै आप लोगों को सुनता हूँ । 

एक समय प्रतिभाशाली सनत्कुमार ने धर्म को जानने की इच्छा से परम भक्ती से युक्त होकर ,विनम्रता पूर्वक भगवान शिव से पूछा— हे महादेव बारह मासों (माह)  में, जो माह सबसे श्रेष्ठ, आपकी अत्यंत प्रीति कराने वाला, सभी कर्मों की सिद्धि देने वाला, और अन्यमास में किया गया कर्म यदि इस मास में किया जाए तो वह अत्यंत फल प्रदान करने वाला हो, कृपया उस मास(माह) के विषय में बताने की कृपा कीजिए ।

सनत कुमार की बात सुनकर देवाधिदेव महादेव बोल —-हे सनत कुमार, वैसे तो सभी मासों का अपना-अपना एक विशेष महत्व है, परंतु इन सभी माहो में श्रावण माह मुझे अत्यंत प्रिय है । श्रावण मास का महत्व सुनने योग्य है इसलिए इसे श्रावण कहा जाता है।  इस माह में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है ,इसके महत्व को सुनने मात्र से सिद्धि प्राप्त होती है इसलिए इसे श्रावण कहा जाता है । यह सभी व्रत तथा धर्म से युक्त है ।  इस महीने में एक भी दिन ऐसा नहीं है जो वृत्त से रहित दिखाई देता हो।  इस मास में प्रायः सभी तिथियां व्रत युक्त हैं ।

आर्तों, जिज्ञासुओं, भक्तों, अर्थ की कामना करने वाले, मोक्ष की अभिलाषा रखने वाले और अपने-अपने अभीष्ट की आकांक्षा रखने वाले, चारों प्रकार के लोग जो ब्रह्मचर्य, ग्रस्त, वानपृथ, तथा   सन्यास आश्रम वाले हैं, इन सभी को श्रावण में व्रत एवं अनुष्ठान करना चाहिए, इसका विशेष महत्त्व है ।

भगवान के ऐसा वर्णन करने पर सनत्कुमार ने कहा  —-हे महादेव जैसा आपने बताया इस मास के सभी दिन तथा तिथियां व्रत रहित नहीं है।  तो किस तिथि में और किस दिन में कौन सा व्रत होता है, उसे वृत्त का अधिकारी कौन है, उसका फल क्या है, उसकी विधि क्या है, किस-किस ने उस वृत्त को किया, उसके उद्यापन की विधि क्या है, प्रधान पूजा कहां हो और जागरण करने की क्या विधि है ?

इस वृत के देवता कौन है, उन देवता की पूजा कहां होनी चाहिए, पूजन सामग्री क्या-क्या होनी चाहिए और किसी वृत्त का कौन सा समय होना चाहिए?  हे प्रभु, कृपया यह सब आप मुझे बताने की कृपा करें ।

सनत्कुमार ने पूछा :  हे महादेव यह माह आपको प्रिया क्यों है, किस कारण यह पवित्र है, इस मास में भगवान का कौन सा अवतार हुआ, यह माह श्रेष्ठ कैसे हुआ और इस मास में कौन-कौन धर्म अनुष्ठान के योग हैं?  हे कृपालु ,मेरे पूछने के अतिरिक्त जो भी शेष रह गया हो उसे भी लोगों के उद्धार के लिए कृपा करके बताइए ।

सनत कुमार भगवान शिव की आराधना करते हुए कहा : — हे महादेव आप सबके आदि में आविर्भुत हुए हैं, अतः आपको आदिदेव कहा गया है।  तीनों देवताओं के निवास स्थान पीपल वृक्ष में, सबसे ऊपर आपकी स्थिति है । कल्याण रूप होने के कारण आप शिव हैं और पाप समूह को हारने के कारण आप हर हैं ।  आपके आदिदेव होने में आपका शुक्ला वर्ण प्रमाण है क्योंकि प्रकृति में शुक्लवर्ण ही प्रधान है ।  आप कर्पूर के समान गौर वर्ण के हैं, अतः आप आदिदेव हैं ।  गणपति के अधिष्ठान रूप चार दल वाले मूलाधार नमक चक्र से, ब्रम्हा जी के अधिष्ठानरूप से छः दलवाले स्वाधिष्ठान नामक चक्र से और विष्णु के अधिष्ठानरूप दलवाले मणिपुर नमक चक्र से भी ऊपर आपके अधिष्ठित होने के कारण आप ब्रह्मा तथा विष्णु से ऊपर स्थित है ।  हे देव एकमात्र आपकी ही पूजा से पंचायतन् पूजा हो जाती है जोकि दूसरे देवताओं की पूजा से किसी भी तरह संभव नहीं है ।

आप स्वयं शिव हैं ।  आपकी बायीं जाघ पर शक्तिस्वरूपा दुर्गा, दाहिनी जांघ पर गणपति ,आपके नेत्र में सूर्य तथा हृदय में भक्तराज भगवान श्री हरि विराजमान है । अन्न् के ब्रह्म रूप होने तथा रस (जल) के विष्णु रूप होने और आपके उसका (अन्न  और रस) भोक्ता होने के कारण हे, ईशान आपके श्री तत्व में किसे संदेह हो सकता है ।

संसार कों शिक्षा देने हेतु आप शमशान में तथा पर्वत पर निवास करते हैं ।  पुरुष सूक्त में आप “उतामृतत्वस्येशानो”  इस मंत्र के द्वारा प्रतिपादन के योग्य हैं, ऐसा महर्षियों ने कहा है ।  जगत का संघार करने वाले , हलाहल विष को गले में धारण करने वाले महादेव आप ही हैं ।  महाप्रलय की कालाग्निक को अपने मस्तक पर धारण करने में आपके अतिरिक्त और कौन समर्थ था, संसार रूप अंधकूप में पतन के हेतु कामदेव को जिसने भस्म किया, हे महादेव वह आप ही है । आपकी महिमा का वर्णन करने में कौन समर्थ है।  मैं एक तुच्छ प्राणी करोड़ों जन्मों में भी आपके प्रभाव का वर्णन नहीं कर सकता ।  अतः आप मेरे ऊपर कृपा करके मेरे प्रश्नों का उत्तर दीजिए ।

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